Monday, December 3, 2012

खुद से और तुम से कुछ बात

चाँद की सिचाई करें
रात भर खिंचाई करें
थक गए कदम जो फिर तो
बूदों की सफाई करें

दिल के तालाब में 
काईयां जमीं हैं कई
आज पानी में  उतरकर
उनकी धुलाई करें .

पान की पीक जैसे
गहरा ये रंग जमकर
धुंधला सा कर दे
आँखों का फर्क करना

बातों का  तेरी जैसे
चुपके से फुसफुसाना
और उसी  लम्हे में
मुद्दतों की बातें करना .

रंग तेरा फिर लगाकर
खुद से फिर से बातें करें
बातों में  तेरी जाकर
फिर से  तेरी बातें कहें .

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1 comment:

  1. Mann ke darpan ko aao aaj phir saaf kiye. Ja ke khuda se sorry bolo jitne tumne paap kiye.

    Phir se shuru karo jindagi, shayad iss janam ko aise hi insaaf mile.

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