Wednesday, February 8, 2012

सुबह हो रही है


घरों से अदरक कूटने की आवाज़


दूर से बोलती मंदिर की घंटियाँ

आलस से लोट पोत होते गोठ के जानवर

पालतू कुत्तों का चिड़ियों के पीछे दौड़ना

चप्पलों के सरकने की आहट

बर्तनों का हलके से आपस में बोलना

दरवाजे के कुंडे की मद्धम आवाज़

रात की काली रौशनी का हलके नीले रंग में

तब्दील हो जाना,

-चूल्हे से उठते नीले धुंए की तरह

इतनी चीज़ों का एक साथ

एक अंतराल पर होना

दिखाता है

कि सुबह हो रही है

मेरे गाँव में.



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