अंगीठी की
राख के नीचे
दबी एक चिंगारी
भीगती रही बारिश में ,
रात भर .
लेकिन
किसी तरह ,
बचाकर रखा ,
उसने ,खुद का वजूद.
और सुबह,
जब किसी ने
नयी, हरी लकड़ियों को
जलाने के लिए
फूंक मारी, उस राख में
तो फिर से जी पड़ी
ये चिंगारी ..
सोचता हूँ मैं-
इस धधक के लिए
ज्यादा जरुरी क्या है ?
चिंगारी का ,
खुद को जिन्दा रखना ,
या किसी राख फूंकने वाले का होना
Saturday, September 18, 2010
Thursday, September 16, 2010
Darwaje par ugi kuch ghasein
दरवाजे पर उगी कुछ घासें
बड़ी खौफजदा रहती थीं
सफाईपसंद अपनी मालकिन से
कि जाने कब उनको उखाड़कर
वहां पर प्लास्टिक का गमला
रख लिया जाएगा
आखिर शहरों में
पौंधों का काम
घर आये मेहमान को
इम्प्रेस करना ही तो होता है
और यहाँ तो उनकी वजह से
कीड़े मकोड़ों के आने का खतरा
बना रहता था
यद्धपि कीड़े मकोड़ों ने
शहर के इंसानों को भांप लिया था
इसलिए वो साँपों से दूर ही रहते थे
लेकिन बेबस घासें करतीं क्या
उनकी इंसानों के आगे चली कब है
और अगले ही दिन
एक खूबसूरत सा गमला
प्लास्टिक के दो फूल लगा लाया
घासें फेंक दी गयीं
कुछ जानवरों ने अपनी पसंद की घासें चुनकर खा लीं
और बची हुई गर्मी में मर गयीं....
बड़ी खौफजदा रहती थीं
सफाईपसंद अपनी मालकिन से
कि जाने कब उनको उखाड़कर
वहां पर प्लास्टिक का गमला
रख लिया जाएगा
आखिर शहरों में
पौंधों का काम
घर आये मेहमान को
इम्प्रेस करना ही तो होता है
और यहाँ तो उनकी वजह से
कीड़े मकोड़ों के आने का खतरा
बना रहता था
यद्धपि कीड़े मकोड़ों ने
शहर के इंसानों को भांप लिया था
इसलिए वो साँपों से दूर ही रहते थे
लेकिन बेबस घासें करतीं क्या
उनकी इंसानों के आगे चली कब है
और अगले ही दिन
एक खूबसूरत सा गमला
प्लास्टिक के दो फूल लगा लाया
घासें फेंक दी गयीं
कुछ जानवरों ने अपनी पसंद की घासें चुनकर खा लीं
और बची हुई गर्मी में मर गयीं....
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Monday, September 13, 2010
wo gaye hain bahut door mana......
आज देखकर उनको अचानक सामने...
एक आंसू ढीला होकर ,
आँखों से टूट पड़ा
बटन की मानिंद .
मैं कोशिश करने लगा -
उसको आँख मैं जकड़े रखने की
बात हुई उनसे
और फिर बात निकल आई
गुजरे वक़्त के ,किसी रोज़ के कुहासे में
उनका हाथ पकड़े रखने की
वो गए हैं बहुत दूर
मेरी लापरवाही से माना
लेकिन आदत बना ली है अब
उनसे जुडी हर चीज़ के हक मैं
झगड़ा करने की
एक आंसू ढीला होकर ,
आँखों से टूट पड़ा
बटन की मानिंद .
मैं कोशिश करने लगा -
उसको आँख मैं जकड़े रखने की
बात हुई उनसे
और फिर बात निकल आई
गुजरे वक़्त के ,किसी रोज़ के कुहासे में
उनका हाथ पकड़े रखने की
वो गए हैं बहुत दूर
मेरी लापरवाही से माना
लेकिन आदत बना ली है अब
उनसे जुडी हर चीज़ के हक मैं
झगड़ा करने की
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