Wednesday, December 30, 2009

Galtiyan

आज तुमसे बात नही हो पायी,
तुमको देखा था मैंने -
लेकिन ये सोचकर कि
पहले तुम बोलो,
बात हो नही पायी.

मैंने सोचा तुम मना लोगी
 हमेशा की तरह,
 और तुमने सोचा -
मैं बात शुरू करूँ
बस... शुरुवात हो नही पायी .

मैंने सोचा तुम बचा लोगी ,
बेढंगी आँधियों से  आशियाना .
लेकिन... बिखरा गयी हवाएं
हमारे रिश्ते को,
फिर मुलाकात  हो नहीं पायी.
शुरुवात हो नही पायी!
बात हो नही पायी!!

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